मुद्दाः पुरानी पेंशन बहाली नहीं होती है तो, झेलना पड़ सकता है कर्मचारियों के आक्रोश का खामियाजा– 

by | Feb 2, 2022 | आंदोलन, चमोली, जागरुकता, समस्या | 0 comments

उत्तराखंड में 80 हजार से अधिक है कर्मचारियों की संख्या, राष्ट्रीय दलों के घोषणा पत्रों पर …

चमोलीः पुरानी पेंशन बहली के लिए राज्य के कर्मचारी लंबे समय से जोर आजमाईश कर रहे हैं, लेकिन अफसोस  यह मामला चुनावी मुद्दा नहीं बन पा रहा है। कर्मचारियों की नजर अब राष्ट्रीय दलों के घोषणा पत्र पर टिकी हुई है, यदि राजनीतिक दल पुरानी पेंशन की बहाली को अपने घोषणा पत्र में शामिल करते हैं तो, यह राज्य के करीब 80 हजार कर्मचारियों के लिए सुखद पहल होगी।

लेकिन अभी तक किसी भी दल के बड़े नेताओं ने इस मुद्दे को नहीं छुआ है। पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा चमोली के जिला संरक्षक डा. डीएस नेगी और पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के जिला महासचिव सतीश कुमार ने कहा कि पुरानी पेंशन को बंद करना सरकार का बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कदम है। राज्य में 80 हजार से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं। एक कर्मचारी के पास कम से कम पांच मतदाता होंगे, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य में  पुरानी पेंशन बहाली को कर्मचारी संघर्ष करते आ रहे हैं।

कर्मचारी पोस्टर अभियान, मेहंदी अभियान, ट्वीटर अभियान के अलावा विभिन्न माध्यमों से नई पेंशन योजना का विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद उनकी एक मात्र इस मांग पर राजनीतिक दलों की रुचि न होना हैरान करता है। उनका कहना है कि नई पेंशन योजना इतनी ही बेहतर है तो उसको विधायकों और सांसदों पर क्यों नहीं लागू कर दिया जाता।

पूरा जीवन सरकारी सेवा में लगाने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को भी अधिकार है कि वह बुढापे में सम्मान जनक जीवन यापन कर सकें। केदारनाथ विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी देवेश नौटियाल ने पुरानी पेंशन बहाली को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया है, उन्होंने इस मुद्दे को प्राथमिकता से लिया है, ऐसे ही अन्य प्रत्याशियों और राष्ट्रीय दलों से भी उम्मीद है कि वे पुरानी पेंशन बहाली को अपने घोषणा पत्र में श‌ामिल करेंगे। 

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