-13 फरवरी रात को परिजन ले गए थे देहरादून, बीती रात हुई मौत, परिजनों का आरोप, प्रशासन का नहीं मिला सहयोग–
गोपेश्वरः विधानसभा चुनाव के तहत मतदान के एक दिन पहले यानि 13 फरवरी को थराली विधानसभा के अंतर्गत एक मतदान कर्मी का स्वास्थ्य बिगड़ गया, उनका स्थानीय अस्पतालों से लेकर देहरादून तक उपचार किया गया, लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका। परिजनों का आरोप है कि तबियत बिगड़ने के बाद प्रशासन की ओर से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला।
दशोली ब्लॉक के सैकोट गांव के सतेंद्र पंवार पुत्र स्वर्गीय बसंत सिंह, उम्र 37 वर्ष, जो कि जीआईसी माणा घिंघराण में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात थे। चुनाव में उनकी ड्यूटी थराली विधानसभा के अंतर्गत विकास खंड नारायणबगड़ के मौणा बूथ में लगी थी। परिजनों ने बताया कि 13 फरवरी को बूथ से एक किमी पहले उनकी तबियत बिगड़ गई। उन्हें सेक्टर मजिस्ट्रेट सहित अन्य मतदान कर्मी नारायणबगड़ अस्पताल ले गए। वहां वह ठीक हो गए थे। लेकिन फिर तबियत बिगड़ी और बेहोश हो गए। इसके बाद परिजनों को सूचित किया और उन्हें कर्णप्रयाग तक आने को कहा।
सतेंद्र के छोटे भाई भूपेंद्र और पत्नी ममता कर्णप्रयाग पहुंची। परिजनों का आरोप है कि १०८ सेवा वाहन में प्रशासन ने उनके साथ कोई भी आदमी नहीं भेजा था और सिमली के पास सतेंद्र को बेहोशी की हालत में उनके वाहन में रख दिया गया। जहां से वह उन्हें देहरादून मैक्स अस्पताल में ले गए, लेकिन वहां भी उनकी तबियत ठीक न होने पर मंगलवार को उन्हें जौलीग्रांट अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उन्होंने रात को दम तोड़ दिया।
मृतक के भाई भूपेंद्र और पत्नी ममता का कहना है कि चुनाव ड्यूटी के समय कर्मचारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से निर्वाचन विभाग की होती है, लेकिन विभाग से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला। उनका कहना है कि मतदान कर्मी की तबियत बिगड़ने पर प्रशासन को उन्हें उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाना चाहिए था। 108 से उन्हें आधे रास्ते में छोड़ दिया गया, वहां से बिना ऑक्सीजन और प्राथमिक उपचार के ही वह मरीज को देहरादून ले गए। सारी व्यवस्थाएं वह खुद ही करते रहे।
जिला निर्वाचन अधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि मतदान कर्मी के उपचार में लापरवाही को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, मामले में पत्रावलियां तैयार करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दे दिए गए हैं।