बदरीनाथ। चारधामों में सर्वश्रेष्ठ बदरीनाथ धाम में दो दिवसीय नर-नारायण जयंती संपन्न हो गई है। भगवान नर-नारायण की उत्सव डोली शनिवा को प्रात: 9 बजे बामणी गांव स्थित भगवान श्री बदरीविशाल जी के जन्मस्थान लीला ढुंगी प्रस्थान हुई। जहां भगवान श्री नर- नारायण भगवान की पूजा-अर्चना के बाद अभिषेक संपन्न हुआ। नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी तथा आचार्यगणों ने भगवान नर- नारायण भगवान का अभिषेक किया। बदरीनाथ धाम से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर बामणी गांव में लीला ढुंगी नामक पत्थर शिला मौजूद है। बताते हैं कि विष्णु भगवान इसी पत्थर में प्रकट हुए थे। तब बदरीनाथ क्षेत्र भोलेनाथ की तपस्थली थी। जब पत्थर में बच्चे की रोने की आवाजा माता पार्वती ने सुनीं तो उन्होंने बच्चे को गोद में उठा दिया। लेकिन भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती से कह दिया था कि इस मायावी बच्चे को उठाने की भूल मत करो, उन्होंने कहा कि भला इस निर्जन क्षेत्र में कौन अपने बच्चे को छोड़ सकता है, लेकिन माता पार्वती का ममत्व जाग गया, उन्होंने कहा कि चाहे यह मायावी ही क्यों न हो, लेकिन एक मां किसी रोते हुए बच्चे को नहीं छोड़ सकती। माता पार्वती ने बच्चे को उठाकर बदरीनाथ धाम में (तब शिव कुटिया) रख कर तप्तकुंड में स्नान करने चले गई, जब वे वापस कुटिया में आए तो दरवाजा नहीं खुला। वहां विष्णु भगवान ने माता पार्वती और शिव भोले को अपने विराट स्वरूप के दर्शन दिए और कहा कि उन्हें यह स्थान बेहद प्रिय है। वे यहां रहना चाहते हैं, तब शिव भोले और माता पार्वती बदरीनाथ स्थान से नीलकंठ चले गए थे। तब से बदरीनाथ धाम भगवान विष्णु की तपस्थली बन गई। इधर, शनिवार को श्री नर- नारायण जी की उत्सव डोली बामणी गांव के भ्रमण के पश्चात वापस श्री बदरीनाथ मंदिर परिसर में विराजमान हो गयी। इसी के साथ जयंती कार्यक्रम का समापन हो गया। कार्यक्रम में कोरोना बचाव मानकों का पालन किया गया। इस अवसर पर देवस्थानम बोर्ड के प्रभारी अधिकारी/ उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील तिवारी,अपर धर्माधिकारी सत्य प्रसाद चमोला, अपर धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविन्द्र भट्ट, प्रभारी मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी गिरीश चौहान, लेखाकार भूपेंद्र रावत, प्रबंधक राजेंद्र सेमवाल, डोली प्रभारी अजीत भंडारी एवं दीपक सयाना, सत्येंद्र चौहान, दफेदार कृपाल सनवाल, मंजेश भुजवाण, अमित डिमरी, देवेंन्द्र चौहान सहित महिला मंडल, बामणी एवं माणा , तीर्थ पुरोहित- हक- हकूकधारी मौजूद थे। श्रद्घालुओं ने इस दौरान कीर्तन भजन का आयोजन भी किया।