उत्तराखंड के इस क्षेत्र में होती है नदी की परिक्रमा, चट्टानी रास्ता, आस्था के आगे सब नत्मस्तक–
चमोली। दत्तात्रेय जयंती पर अनसूया माता मंदिर में लगने वाला दो दिवसीय मेला संपन्न हो गया है। मंदिर में माता के दर्शनों के लिए हजारों भक्तगण पहुंचे हुए थे। भक्तों ने माता के दर्शन कर मनौतियां मांगी।
अनसूया माता मंदिर में 400 निसंतान दंपतियों ने संतान की कामना की। मां अनसूया वरदानी माता है। लिहाजा देश के कोने-कोने से निसंतान दंपति मंदिर में संतान कामना लेकर पहुंचे हुए थे।
मंदिर में ग्राम पंचायत मंडल, खल्ला, बणद्वारा, कठूड़, देवलधार और सगर से मां ज्वाला की देव डोलियां अनसूया मंदिर पहुंची। देव डोलियों का मिलन हुआ। सभी देवियां अपनी बहन अनसूया से मिलने यहां पहुंची थी।
अनसूया मंदिर से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर अत्रिमुनि का आश्रम है। अत्रि मुनि माता अनसूया के पति हैं। प्राकृतिक सुंदरता के बीच कलकल बहती अमृत गंगा और सहायक झरने मन को भाव विभोर करने वाले थे। यहां एक ऐसा आस्था पथ है जो अमृत गंगा की परिक्रमा का रास्ता है। शायद ही भारत में अमृत गंगा के अलावा कोई गंगा होगी, जिसकी परिक्रमा होती है।
आस्था के आगे सब नत्मस्तक। यहां बच्चों से लेकर बुजुर्ग दंपतियों की लाइन लगी हुई थी। दिनभर इस आस्था पथ पर भक्तगणों का आना-जाना बना हुआ था। देवलधार गांव की मां ज्वाल्पा देवी ने भी अमृत गंगा में पवित्र स्नान किया।