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Home रूद्रप्रयाग

अब यादों में रहेगी गुलाबराय में राहगीरों और परिवारों की प्यास बुझाने वाली जलधारा– 

laxmi Purohit by laxmi Purohit
02/03/2022
in रूद्रप्रयाग, समस्या
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गुलाबराय में सूखी पड़ी प्राकृतिक जलधारा

गुलाबराय में सूखी पड़ी प्राकृतिक जलधारा

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रेलवे के निर्माण कार्य से सूख गया पानी का स्रोत, गर्मियों में साधु-संतों के साथ ही स्थानीय लोगों की अब कौन बुझाएगा प्यास– 

रुद्रप्रयाग के गुलाबराय में सदियों पुराने पेयजल स्रोत की जलधारा का अस्तित्व ही मिट गया है। यह जलधारा चारधाम यात्रा के साथ ही सैकड़ों स्थानीय लोगों की प्यास बुझाती थी, आज वही जलधारा बूंद-बूंद के लिए तरस रही है। क्षेत्र में चल रहे रेलवे निर्माण कार्य के चलते इस जलधारा का पानी रसातल में चला गया है।

लोगों का कहना यही है कि ऐसे विकास का भी क्या करना, जिससे जीवन यापन का अस्तित्व ही मिटने लग जाए। यह प्राकृतिक स्रोत बारामास बहता था। इसका पानी हमेशा तरोताजा और ठंडा रहता था। गर्मियों में बदरीनाथ हाईवे पर चलने वाले वाहन चालक, तीर्थयात्री, साधु-संत और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में इसके पानी का उपभोग करते थे। गर्मियों में जल संकट के बीच कोई दिन ऐसा नहीं होगा जब इस वर्षो पुराने धारे की याद हर किसी को नहीं आएगी। स्थानीय निवासी सरस्वती देवी, संजय देवली, लज्जावती देवी, सरस्वती देवी आदि ने कहा कि वह पीढ़ियों से गुलाबराय स्थित जल स्त्रोत से पानी की आपूर्ति होते देख रहे हैं। किंतु रेलवे ने इस पारम्परिक जल धारे को खत्म कर दिया है। सिंचाई के लिए भी यह मील का पत्थर साबित होता था।

सामाजिक कार्यकर्ता गौरव नैथानी, अशोक चौधरी, शैलेंद्र भारती, तरुण पंवार, पूर्व नपा अध्यक्ष राकेश नौटियाल, हरि सिंह पंवार, दीपांशु भट्ट, यशवंत बिष्ट, प्रदीप चौधरी, महेश डियून्डी, माधो सिंह नेगी, प्रदीप बगवाड़ी, लक्ष्मण बिष्ट, कांता नौटियाल, गोपी पोखरियाल, व्यापार संघ अध्यक्ष अंकुर खन्ना, चन्द्रमोहन सेमवाल, जितेंद्र खन्ना, महावीर भट्ट आदि ने इस धारे को पुर्नजीवित करने की मांग की है।  
कभी जमाने में गुलाबराय में मवेशियों के व्यापार की मंडी हुआ करती थी। इस स्थान की दुग्ध उत्पादन के रूप में भी पहचान रही है। दूर दूर से लोग मंडी में दूध लेने आते रहे हैं। यहां वर्षों तक मंडी स्थापित रही इसमें पारम्परिक जल स्रोत (धारे) का ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है।

पर्याप्त पानी की वजह से यहां पहाड़ के अनेक जनपदों से लोग मवेशी लेकर व्यापार करते रहे हैं। हालांकि आज मंडी जैसा कुछ भी नहीं दिखाई देता है। गुलाबराय में पानी के धारे को पुर्नजीवित करने की मांग चारों ओर से उठ रही है। लोग यहां भू वैज्ञानिकों से अध्ययन कराकर सुचारु पेयजल व्यवस्था करने की मांग उठा रहे हैं। 

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